‘कुतुब मीनार का संपुण इतिहास (Qutub Minar History in Hindi)’
दिल्ली सल्तनत के सबसे पहले मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दिन ऐबक ने इस मीनार का निर्माण शुरू कराया था । कुतुब-उद-दिन ऐबक के नाम पर क़ुतुब मीनार का नाम रखा गया था । जो की उस दौरान दिल्ली सल्तनत के संस्थापक थे। बाद में इस ईमारत का निर्माण कई बार कराया गया।
- भारत में क़ुतुब मीनार के इतिहास के बारे में कोई ठोस दस्तावेज नहीं है। लेकिन क़ुतुब मीनार को जिस इंसान ने बनाया था उसका नाम बख्तियार काकी था। वह एक सूफी संत था। दूसरी और इस मीनार के बारे में ऐसा भी बताया जाता है, की राजपूत मीनार से प्रेरणा लेकर इस मीनार बनवाया गया था।
- कुतुब मीनार के उत्तरी तरफ में एक कुव्वत-उल-इस्लाम के नाम से मस्जिद भी स्थापित है। जिसका निर्माण संन 1192 में क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने करवाया था। इस मस्जिद को भारत की काफी पुराणी मस्जिद बताया जाता है, बाद में इस मस्जिद के निर्माण को क़ुतुब-उद-दिन ऐबक के पोते इल्तुमिश ने पूरा कराया था और अला-उद-दिन ख़िलजी ने मस्जिद का विकास करवाया था।
‘कुतुब मीनार की उचाई कितनी है (What is the height of Qutub Minar in Hindi)’
- क़ुतुब मीनार उचाई की बात करे तो यह दुनिया की सबसे ऊंची ईटों से बनी मीनार है ,जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर की है। लाल पत्थर और मार्बल पत्थरो से बनी इस मीनार का डायमीटर 14.32 मीटर का है। क़ुतुब मीनार के अंदर 379 सीढ़ियाँ गोलियी में बनी हुई है। जिसके द्वारा निचे से चढ़कर ऊपर मीनार की छोटी तक पंहुचा जा सकता है। इस मीनार के पास में ही एक क़ुतुब काम्प्लेक्स है जिसको यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी कहते है।
‘कुतुब मीनार कितनी मंजिला इमारत है (Qutub Minar is how many storeyed building in Hindi)’
- इस मीनार की उचाई की बात करे तो 72.5 मीटर ऊंची है सन् 1193 में इसका निर्माण कुतुब-उद-दीन ऐबक ने करवाया था। क़ुतुब मीनार में पांच अलग-अलग मंजिलें हैं, प्रत्येक मंजिल पर एक प्रोजेक्टिंग बालकनी है, और व्यास आधार पर 14.32 मीटर उचाई से लेकर शीर्ष तक सिर्फ 2.75 मीटर तक चिह्नित है।
‘कुतुब मीनार का निर्माण कब और किसने करवाया (Who Has Built Qutub Minar in Hindi)’
- इस मीनार के निर्माण की बात करे तो, दिल्ली सल्तनत के संस्थापक ने इस ईमारत का निर्माण सन् 1193 में करवाया था। जिनका नाम क़ुतुब-उद-दिन ऐबक था, परंतु तब तक केवल इसका आधार ही बन पाया था। उसके बाद में इस ईमारत को उनके पोते उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने सन् 1220 में तीन मंजिलों तक बनवाया था। लेकिन सन् 1369 में ऊपर से बिजली कड़कने के कारन तीसरी मंजिल पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी थी। फिर आखिरकार बाद में इस ईमारत का पुनः निर्माण सन् 1369 में फीरोजशाह तुगलक ने करवाया था। हर दो साल बाद एक मंजिल का निर्माण पूरा हुआ, और ऐसे करते हुए उन्होंने पाँचवीं और अंतिम मंजिल बनवाकर इस ईमारत के निर्माण को पूरा कराया था।
‘कुतुब मीनार का निर्माण किसकी याद में कराया गया था (Qutub Minar was built in whose memory in Hindi)’
- दिल्ली सल्तनत के प्रथम मुस्लिम शासक क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने अफ़गानिस्तान में स्थित, जाम की मीनार से प्रेरित होकर और उससे आगे निकलने की इच्छा जताई। बाद में उन्होंने इस क़ुतुब मीनार का निर्माण सन् 1193 में करवाया था।
‘कुतुब मीनार की दिलचस्प बातें (Some interesting facts about Qutub Minar in Hindi)’
- क़ुतुब मीनार के परिसर में लगभग 2000 साल पुराना लोहे का एक खंभा लगा हुआ है जिसमे आज तक जरा सा भी जंग नहीं लगा है।
- यह मीनार बिलकुल सीधी नहीं है। कई बार इस ईमारत की मरम्मत हो चुकी है जिस कारन यह एक तरफ को थोड़ी सी झुकी हुई है।
- भूकंप और बिजली के कड़कने के कारन इस मीनार को काफी बार ठीक कराया गया है।
- क़ुतुब मीनार को बलुआ लाल पथरो का उपयोग करके बनाया गया था।
- कहते है की क़ुतुब मीनार का जो असली नाम था वो विष्णु स्तंभ था ,जिसको सम्राट चन्द्रगुप्त के नवरत्नों में से एक माना गया है।