रानी की वाव का स्मपुण इतिहास ।

   विश्व प्रसिद्ध रानी की वाव का इतिहास ।

  • रानी की वाव गुजरात के पाटन जिले के पाटन सहेर में आई हुई हैं।
  • रानी की वाव का निर्माण अनहिलवाड़ पाटनके सोलंकी वंश के स्थापत्य मूलराज सोलंकी के पुत्र भीमदेव पहेले की पत्नी रानी उदयामती ने इस वाव का निर्माण कर वाया था।
  • रानी की वाव को 22 jun, 2014 के रोज युनेस्को के द्वारा वल्ड हेरिटेज के साइट में समावे किया था।
  • रानी की वाव का निमार्ण 11मि सदी में भीमदेव पहलेके निधन बाद हुआ था ।

  • रानी की वाव में कुल 7 माल बने हुऐ हैं। वाव की लंबाई 64 मीटर है । और पहोलाई 20 मीटर है । और उंडाई 27 मीटर है।
  • यह वाव मारू–गुर्जर थापत्य सैली मे बनाई गई है।
     
      
  • इस वाव में देवी देवता ओ , ओर अप्सरा ओकी मूर्तिया कंडारी गई है।
  • भारत में आई हुई यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट मे रानी की वाव का  31मां क्रम है ।
  • भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा 100 रुपए के       मूल्य की चलन नोट में   रानी की वाव का चित्र   रखा गया है ।
  • रानी की वाव का उल्लेख इस. स.1304 में जैन मुनि मरूंगासूरी द्वारा रचित प्रबंध चिंतामणि में मिल ता है।
  • रानी की वाव को इस. स. 2016 में Cleanest Iconic place का अवॉर्ड  मिला है ।




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